Teachers Day Essay in Hindi। शिक्षक दिवस पर हिंदी निबंध

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शिक्षक जिसे भारतीय समाज में भगवान् स्वरुप माना जाता है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में teachers day essay in hindi ले कर आये है । शिक्षक दिवस पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on teachers day in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

         गुरूर ब्रह्मा गुरूर विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा,

        गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः

टीचर अर्थात शिक्षक, शिक्षक बच्चों के हर उस ताले की चाबी है जो बच्चों के मन मस्तिष्क को खोलने का काम करती है। शिक्षक न केवल मन मष्तिष्क को खोलने का काम करते है बल्कि वे उस मनुष्य में वैभव, ज्ञान, संयम को भी कूट-कूट कर  जड़ देते है। शिक्षक के समान सृष्टि पर कोई रचना नही। क्योंकि शिक्षक मनुष्य को मनुष्य बनाने का काम करता है। शिक्षक एक नीरस बच्चे में रस को इस प्रकार भरता है वह उसके आने वाले 100 साल उस रास की शीतलता का अनुभव करता है। मां के बाद बच्चों पर  सबसे बड़ा अधिकार अगर किसी दूरसे व्यक्ति का होता है तो वह शिक्षक ही है। शिक्षक के समान कौन है, कोई नही जानता। जितना भी हम शिक्षक के बारे में कहे वह न्यूनतम ही होगा। क्योंकि शिक्षक एक अनाड़ी को खिलाड़ी बनाने का कार्य करते है। वह शून्य से शुरुवात कर बच्चों के जीवन मे 100 प्रतिशत ज्ञान का भंडारण करते हैं।

प्रस्तावना-  हर वर्ष 5 सितबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसकी वजह जानने से पहले हम शिक्षक के जुड़े कुछ अहम पहलू पर नज़र डालेंगे।हम सभी के जीवन मे कुछ लोग स्थायी होते है। जो अपनी भूमिका विशेष रूप से निर्धारित करते है। ठीक उसी प्रकार हमारे माता पिता व परिवार के साथ हमारे शिक्षक भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। हम सभी के जीवन मे गुरु अवश्य होते है, जो हमें गलत से सही मार्ग पर ले जाने का कार्य करते है। जो हमे ज्ञान अर्जन कराते हैं। शिक्षक की भूमिका निभाना हर मनुष्य की बात नही। उनकी खासियत की कोई हद नही। ये पीढ़ी दर पीढ़ी हमारा विकास करते है। शिक्षक हमे पढ़ते है, उन्होंने हमारी पूर्वजों को पढ़ाया है। अर्थात हमारे माता पिता, दादा दादी, नाना नानी। वे आज हमे ज्ञान दे रहे है, सही शिक्षा प्रदान कर रहे है। और कल को वह हमारी भावी पीढ़ी के जीवन मे भी अहम भूमिका निभाने वाले होंगे। जिस तरह माता पिता व परिवार का स्थान कोई नही हटा सकता , उसी प्रकार शिक्षक का स्थान हटाने योग्य इस दुनिया मे कोई नही है। अंधकार से प्रकाश की और ले जाने वाले शिक्षक जीवन का आधार है। उनके बिना किसी व्यक्ति को ज्ञानार्जन कराना बेहद मुश्किल है। हर जाति हर समुदाय के व्यक्ति को शिक्षक समान रूप से अपनाते है। उनके प्रेम, ज्ञान, शिक्षा की कोई सीमा नही। सभी के लिए एक समान है। 

शिक्षक दिवस मनाने की वजह- शिक्षक ऐसे दिव्यजीवी है जो हाथी व चीटी दोनो को  समान ज्ञान देते है। एक हाथी अपने जीवन मे विशाल रूप से लोगो को भयभीत कर सकता है, तो एक चीटी बड़े से हाथ को कांट कर घमंड को दूर कर सकती है। ठीक उसी प्रकार शिक्षक भी हर बच्चों को काबिलियत के हिसाब से उच्च से उच्च ज्ञान देने का कार्य करता है। 

बेशक आप ज़रूर सोच रहे होंगे कि मैने ये सब कुछ पहले क्यों बताया, और शिक्षक दिवस क्यों मनाते है ये पहले क्यों नही बताया? क्योंकि सबसे पहले हमे शिक्षक के महत्व व निष्पक्षता को जानना जरूरी था।  आज से दशकों पूर्व शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा था। शिक्षक दिवस की शुरुवात के पीछे भी एक कहानी है। दशकों पूर्व डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन अपने बच्चों को कक्षा में पढ़ा रहे है। सर्वपल्ली राधाकृष्ण व उनकी कक्षा में बैठे बच्चों के बीच संवाद चल रहा था। जिसमे राधाकृष्णनजी ने शिक्षक को सम्मान देने की बात देते हुए कहा कि उनके जन्मदिन को शिक्षिक दिवस के रूप में मनाया जाए। जिससे शिक्षक की महत्वपूर्णता को लोग सबसे उच्च रखे। उन्हे जीवन भर सम्मान मिले। उन्हें उनके कार्यो के लिए शुशोभित किया जाए। और शिक्षिक की भूमिका से लोग वंचित न रहते हुए उन्हें विलुप्त ना कर पाए। राधाकृष्णन जी एक आत्मीय शिक्षक थे। वे देश के राष्ट्रपति भी थे। वे किताबों को पढ़ने में विशेष रुचि रखते थे। उन्होंने शिक्षकों को सम्मान पहुचाने की दिशा प्रदान की। डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णनजी के जन्मदिन 5 सितंबर को हर वर्ष भारत मे शिक्षक दिवस मनाया जाता है। देश मे पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया। 

डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को आज भी सराहा जाता है। उनके दिए गए इस दिन को शिक्षक व बच्चे दोनो उत्साह पूर्वक स्वीकार करते है। राधाकृष्णनजी शिक्षकों के लिए मिसाल है। सभी शिक्षक सम्मान के काबिल है यह बात राधाकृष्णन जी ने सिखाई। शिक्षक की भूमिका अदा करना कोई आसान काम नही होता, उन्हें इसके लिए सम्मानित करना व शिक्षकों के नाम एक दिन करना उन्हें प्रेरणा देने के समान है। इस प्रकार शिक्षकों की भूमिका की मज़बूत नीव रखना बेहद खूबसूरत व सराहनीय है।

शिक्षक दिवस मनाने के तरीके- शिक्षक दिवस पूरे भारत देश मे धूम धाम से मनाया जाता है। शिक्षक दिवस निजी क्षेत्र व सरकारी क्षेत्र दोनो में ही धूम धाम से मनाया जाता है। आज बच्चों द्वारा शिक्षकों को नए उपहार देकर सम्मानित किया जाता है। यह दिन शिक्षक व बच्चों दोनो के लिए खास व उमंग उल्लास से भरा दिन है। शिक्षकों के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। सभी विद्यालय व कॉलेज में यह दिन तड़कता-भड़कता दिन होता है। पूरे विद्यालय व कॉलेज में सजावट की जाती है। एक हफ्ते पहले से बच्चे आज के दिन के लिए विशेष  तैयारियां शुरू कर देते है। आज का दिन शिक्षकों और बच्चों के प्रेम का भी दिन है। आज बच्चे शिक्षकों के प्रति अपना प्रेम, सम्मान व मधुर संवाद का आदान प्रदान करते है। इस दिन के लिए मानो शिक्षक व बच्चे दोनो बेसब्री से इंतेज़ार करते है। आज के दिन के लिए बच्चे विशेष रूप से मंच को सजाते है। शिक्षक सज धज कर रंगीन पौशाख पहन कर आते है। वे अपने अपने स्थान पर विराजमान होते है। फिर बच्चों द्वारा निर्धारित शिक्षकों के लिए खास कार्यक्रम की शुरुवात होती है। सबसे पहले शिक्षकों का फूलों से व ज़ोरदार तालियों से स्वागत किया जाता है। इसके बाद डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को नमन कर दीप प्रज्वलन किया जाता है। कार्यक्रम में बच्चे शिक्षकों के लिए विशेष प्रस्तुति देते है। शिक्षकों के लिए कविता पाठ, मनमोहक स्पीच, डांस, नाटक इत्यादि की प्रस्तुति देते है। जिसे देख शिक्षक भाव विभोर हो जाते है। आज हर शिक्षक को अपने हर क्षात्र पर गर्व होता है। बच्चों को शिक्षक ढेर सारा आशीर्वाद प्रदान करते है। और उनके मंगल जीवन कि कामना करते है। आज बच्चों द्वारा शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। हर शिक्षक को बच्चे मंच पर बुला कर तिलक लगा कर उपहार से सम्मानित करते  है। ये कुछ मधुर पल होते है शिक्षक व क्षात्र के मध्य। शिक्षक बच्चों को धन्यवाद करते है और धन्यवाद देता हुए कार्यक्रम को समाप्त करते है। इसके बाद बच्चों द्वारा शिक्षकों को भोजन भी कराया जाता है। आदर के साथ उन्हें बैठाया जाता है और बच्चों द्वारा भोजन परोसा जाता है। कुछ इस प्रकार आज के दिन को मनाया जाता है। हर छोटे बड़े विद्यालय व हर कॉलेज में यह कार्यक्रम धूम धाम से मनाया जाता है। शिक्षकों के सम्मान की प्रथा सालो से चली आ रही है। और आगे भी चलती रहेगी। शिक्षक बच्चों के लिए वरदान है। शिक्षकों ने अपना पूरा जीवन बच्चों के जीवन को सुधारने में लगाया वह काबिले तारीफ है। 

उपसंहार-   शिक्षक बच्चों का भविष्य बनाते हैं, शिक्षक देश के भविष्य को सही आकार प्रदान करते है। इन सब के बावजूद वे अपने क्षात्रों की अपने बच्चों की सारी बलाएं अपने ऊपर लेने की कामना करते है। वे हमेशा चाहते है कि उनके बच्चे जहाँ भी रहे वहां अपना नाम रौशन करे।हम सभी भाग्यशाली है जो हमारे शिक्षक का आशीर्वाद हमारे साथ है।

कभी ना रहते वो किसी के सहारे, 

कोई लक्ष्य नही होता उनका सिवाए हमारे,

लगते है वो हमको सबसे न्यारे, 

फूलों से भी प्यारे होते है टीचर्स हमारे.., 

फूलों से भी प्यारे होते है टीचर्स हमारे..!!

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