प्रदूषण पर हिंदी निबंध। pollution essay in hindi

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प्रदूषण मानव द्वारा जन्मा एक ऐसा राक्षस है जो धीरे धीरे मानस सभ्यता को काल के मुँह में धकेलता जा रहा है । प्रदुषण की समस्या विश्वव्यापी है। आज आप इस पोस्ट में pollution essay in hindi पढ़ेंगे। प्रदुषण पर निबंध स्कूल और कॉलेज में जरूर पुछा जाता है। इस हिंदी निबंध को आप essay on pollution in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

जब भी पॉल्युशन की बात की जाती से जिसे हिंदी में प्रदूषण कहते है सबसे पहले एक ऐसा चित्र दिमाग मे बनता है जिसमे बहुत सारा धुंआ हो। पर अगर वाकई में समझा जाये तो ये इससे बहुत ज़्यादा है। अक्सर बिना समझे, बिना जाने, जो लोग जागरूक नही होते वे प्रदूषण को बस धुंए तक समझ कर सीमित कर देते हैं। 

आज एक ऐसेअनसुलझे शब्द की बात बड़े आसान रूप से करेंगे जिसका सिर्फ लोग नाम ही जानते है प्रदूषण ।आखिर ये जागरूकता की कमी ही तो है जो प्रदूषण के स्तर में इजाफा होता ही चला जाता है। जब घर मे संतान का जन्म होता है, तब उसे ये सीखाया  जाता है कि अपने आस पास के लोगो के साथ कैसे व्यवहार करें। और सर्वप्रथम ये सीखाया जाता है कि कैसे आस पास के लोगो से मधुर व्यवहार करें। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कोई भी अपने घर मे अपनी संतान को ये नही सीखाता की प्रकृति से कैसे मधुर व्यवहार करें। 

प्रस्तावना-  प्रदूषण –इस जटिल शब्द को आसान से आसान भाषा मे समझने का उद्देश्य रखते हुए, एक साधारण तौर पर इसे समझा जाये तो इसका अर्थ है दूषित तत्वों का पर्यावरण में मिश्रण। जब दूषित तत्वों का पर्यावरण में मिश्रण होता है। वातावरण दूषित होता है और इसे हम प्रदूषण कहते है। प्रदूषण बेशक हर जगह होता है, किस कारण होता है उसपर हम चर्चा करेंगे। परंतु उसके पहले भारत देश मे प्रदूषण की स्थिति से रूबरू होना आवश्यक है। आखिर प्रदूषण में भारत कहा तक ज़िम्मेदार है? ये जानना हर भारतिय का अधिकार है। द हिन्दू के अखबार में आईक्यू एयर विजुअल की रिपोर्ट प्रकाशित हुई। वह रिपोर्ट सबको चौकाने वाली थी। समूचे विश्व मे भारत प्रदूषण के स्तर में पांचवे स्थान पर रहा। सब कड़ियों को जोड़ने से पहले हम जान लेते है प्रदूषण के बारे में आम जानकारी। जिससे आगे की बात बेहतर रूप से समझ आये। आज हम इसे पढ़ कर तथ्य और मिथ्या में फर्क भी कर पाएंगे। 

प्रदूषण के विकराल प्रकार- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण। 

 आप सोच रहे होंगे कि सीधे से प्रदूषण के प्रकार ना बोलते हुए इसे प्रदूषण के विकराल प्रकार क्यों बोला गया? इसकी एक मात्र वजह है लोगो को इसके बारे में जानकारी ही नही है कि प्रदूषण के प्रकार विकराल है।हम प्रदूषण को उसके शब्द जितना ही तो छोटा समझते है। जबकि असल मे प्रदूषण के प्रकार कोई छोटा किरदार नही निभाते है वातावरण को दूषित करने में। सब एक समान वातावरण दूषित करते है। हम लोग प्रदूषण को बस धुंए जितना समझते हैं। असल मे ये बेहद विकराल है। 

वायु प्रदूषण- वायु प्रदूषण तब होता है जब वायु की गुणवत्ता का स्तर घट जाता है। और फिर वही वायु जब हम स्वाश के रूप में लेते है तब वह हमारे लिए नुकसानदायक होती है। ये बात जान कर हैरानी होगी कि कई पशु पक्षी की जाती इसी वजह से विलुप्त भी हो जाती है। उन्हें उनके रहने के लिए सही वातावरण प्राप्त नही हो पाता। वायु प्रदूषण से मनुष्य नही जानवरो को भी खतरा है। पशु पक्षियों को बीमारिया होती है और साथ ही मनुष्य को भी विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। खास तौर पर तब जब वायु प्रदूषण से कोई नई बीमारी का सृजन होता है। मनुष्य को दमा, सर्दी-खांसी, अंधापन, त्वचा के रोग, स्वास संभंधित बीमारिया, हार्ट अटैक आदि समस्याएं होती है। हाल ही में इसी वर्ष 2 लाख लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण से होने का लेख अखबार दा हिन्दू में प्रकाशित हुआ था। हम प्रदूषण की वजह से अपने प्रिय जानो की जान जाते देख  विचलित है।

वायु प्रदूषण वाहनों से धुआं निकलने की वजह से होता है। फैक्ट्री से धुआं अधिक मात्रा में निकलने की वजह से होता है। पेड़ पौधों को कांटने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है। व ऐसे कई कारण वायु प्रदूषण को फैलाने में हिस्सेदार हैं। किसान पराली जलाते है उससे भी वायु प्रदूषण में तेज़ी से इजाफा होता है।वायु प्रदूषण संसार मे हर प्रकार से हानि कारक है।

जल प्रदूषण-  जब साफ स्वच्छ पानी मे घातक पदार्थ मिल जाते है उसे हम जल प्रदूषण कहते है। पानी की गुणवत्ता को गिराता है जल प्रदूषण। जब आम जन उसी पानी को इस्तेमाल करते है तब उनके शरीर में वो पदार्थ बेहद बुरा असर करते हैं।पशु पक्षी उसी दूषित पानी को पीकर मार जाते है। कुछ बीमार हो जाते है। नहर नालो में गंदगी की वजह से मच्छर उत्पन्न होते है। और घातक प्रहार करते है। जिससे मनुष्य को टायफाइड, पीलिया, मलेरिया जैसी बीमारियां होती है। इसकी वजह से पेड़ पौधों में भी शुद्ध पानी नही पहुंचता। पानी मे रहने वाले जीव-जंतु को हानि होती है।उन्हें ठीक मात्रा में ऑक्सीजन नही मिलती।

जल प्रदूषण खास तौर पर फैक्ट्री व उद्योग से निकलने वाले रासायनित पानी को समुद्र में डालने से होता है। कई बार आस पास की नदियों में भी वह गंदा पानी डाल दिया जाता है। मुख्य वजह में से एक वजह है नालों को नदियों से जोड़ना, उससे पीने का पानी भी दूषित होता है। हर छोटी चीज़ को पानी मे विसर्जित करने से भी जल प्रदूषण बढ़ता है। 

भूमि व ध्वनि प्रदूषण-  जब भूमि के स्तर में गुणवत्ता की कमी होती है उसे भूमि प्रदूषण बोलते है। साथ ही जब अनियंत्रित ध्वनि से लोगो को तकलीफों का सामना करना पड़ता है उसे ध्वनि प्रदूषण कहते है। अधिक प्लास्टिक को जब भूमि में गाढ़ दिया जाता है उससे भी भूमि दूषित होती है।प्लास्टिक पॉलीथिन दशको बाद भी गलती नही है। किसानों द्वारा अधिक कीटनाशक का उपयोग भी भूमि के लिए हानिकारक होता है। उससे कृषि द्वारा अनाज दूषित होता है।भूस्खलन की संभावनाएं बढ़ती है। सायरन से ध्वनि प्रदूषण  बढ़ता है।वाहनों की अधिक ध्वनि मुख्य कारण है ध्वनि प्रदूषण का। इससे हृदय रोग की व रक्तचाप अर्थात ब्लड प्रेशर की संभावनाएं बनती है। 

प्रदूषण संबंधित आंकड़े-  हाल ही में पूरे विश्व में ब्लड प्रेशर से 14 लाख लोगों की मृत्यु हुई। आगे भी ये सिलसिला जारी रहने की सौ प्रतिशत संभावनाए है। अगर ध्यान नही दिया गया तो ये संख्या में इजाफा होने आम बात होगी। आईक्यू एयर विजुअल द्वारा रिपोर्ट में पहले स्थान पर बांग्लादेश रहा और पांचवे स्थान पर भारत रहा।  लेकिन वर्ष 2019 में 30 सबसे प्रदूषित शहर में से 21 शहर भारत के रहे। भारत का गाज़ियाबाद शहर सबसे प्रदूषित शहर माना गया। वही भारत की राजधानी दिल्ली सभी राजधानियों  में से सबसे प्रदूषित राजधानी मानी गयी। इसके लिए सरकार ने कदम भी उठाए। जनरेटर का अधिक उपयोग बंद करवाया। एन्टी पॉल्युशन गाईडलाइन भी दी। किसानों को पराली जलाने से मना किया। एनसीसी की मदद से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज लोकुर जी ने दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम कर प्रयास किये। अब तक विशेष बदलाव नज़र नही आये। परंतु आशा है कि जल्द से जल्द प्रदूषण कम हो। 

रोकथाम उपाय- सभी कड़ियों को जोड़ते हुए फिर हम उस मोड़ पर खड़े है जहाँ हमने प्रदूषण का भयावह रूप देखा। जहाँ मौत के आंकड़े भी लाखों की संख्या में रहे। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम अपने भावी पीढ़ी को  ऐसा वातावरण दे रहे जो उनका स्वस्थ जीवन भी सुनिश्ति नही करता। अपने लिए न सही तो आने वाली पीढ़ी के लिए आज के मनुष्य को पूर्णतः जागृत होने की आवश्यकता है।अन्यथा जाने अनजाने हम ही हमारे भावी पीढ़ी के विनाशक होंगे। 

कोई कठिन कार्य को हम करना सही समझते है। लेकिन पर्यावरण की रक्षा करने जैसा आसान काम हम सही नही समझते। हर व्यक्ति अपने जीवन मे पौधारोपण करे तो ये वृक्ष ही हमे जीवन दान देंगे। पौधारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहेगा और हमे स्वच्छ हवा की किल्लत कदापि नही होगी। 

बेशक अगर कुछ लोग जागरूक है तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम अन्य लोगो को भी जागरूक करे। उन्हें पर्यावरण का महत्व समझाए। वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करे।सरकार के नियमो का पालन करे।सरकार को भी नियम का उल्लंघन करने वालो पर अधिक से अधिक जुर्माना लगाने चाहिए। फैक्ट्री को जीविका क्षेत्र से दूर लगाने के लिए सख्त प्रावधान बनाना चाहिए। हर जगह डस्टबिन की व्यवस्था हो।  रीसायकल बिन हो जिसमे गीले व सूखे कचरे अलग भी डाले जा सके। किसान कीटनाशक का कम से कम उपयोग करे।

उपसंहार- हर वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस मनाया जाता है। परन्तु इसके बारे में अधिक लोग जानते ही नही। हमे हर रोज़ हर क्षण अपने पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। एक दिन में दशको की गंदगी कैसे खत्म होगी। हमे साफ सफाई, वृक्षारोपण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसे कोई भी कार्य नही करना चाहिए जो हमारे पर्यावरण के हित में ना हो। पर्यावरण हमारा है और उसपर हमारा पूरा अधिकार है। हम अपने पर्यावरण को मिल कर बचाएंगे। इस तरह से बर्बाद आगे कभी भी नही होने देंगे। 

अब उठिए, जागिये और आज भी अपने आंगन में पौधे लगाइये।

हमें आशा है आपको pollution essay in hindi language में पसंद आया होगा। आप इस निबंध को essay on pollution या short essay on pollution के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। environment and pollution essay in hindi के लिए इस पोलुशन एस्से को आप प्रयोग कर सकते है।