आतंकवाद पर निबंध। terrorism essay in hindi

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terrorism जिसे हम हिंदी में आतंकवाद के नाम से जानते है। मानव विकास और सामाजिक सौहार्द के बीच सबसे बड़ी बाधा आतंकवाद है । आज पूरा विश्व आतंकवाद की पीड़ा को झेल रहा है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में terrorism essay in hindi ले कर आये है । इस आतंकवाद पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on terrorism in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

टेररिज्म जिसे हम हिंदी में आतंकवाद कहते है।आतंकवाद आतंक शब्द से उभरा हुआ शब्द है। कई लोग आतंकवाद को बहुत छोटी चीज़ समझते है। लेकिन जहां ये सुचारु रूप से चलन में है, वहां के लोग इसे बखूबी समझते है। दुनिया के हर कोने में बेशक ये ना हो लेकिन से दुनिया के कुछ खास देश व प्रदेशों में है।ईरान, अफगानिस्तान नाइजीरिया, सीरिया और पाकिस्तान सबसे ज़्यादा इन गतिविधियों का हिस्सा होते है। आई.ई.पी के ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स में इसका खुलासा हुआ । जो लोग इसे महज कोई मामूली झगड़े के समान समझते है वे इसके दुष्प्रभाव के बारे में जानने से वे फिलहाल वंचित है। एक गुत्थि सुलझने के प्रयास में ना जाने हम कितने उलझ से जाते है। जी हां मेरा मकसद सबसे पहले ये बताने का था कि आतंकवाद कोई मामूली चीज नही है। लोग इसे हल्के में ना ले। अब हम आसान भाषा मे आतंकवाद व आतंकवादी जैसे शब्दों का अर्थ समझेंगे। आतंकवाद को सीधे तौर पर देखा जाए तो वह गद्दारी और हिंसा होती है। और जो इसे करता है उसे हम आतंकवादी कहते हैं। जो जी पूर्णताः गद्दार के समान होता है। कई बार वे आपने ही राष्ट्र के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है। हिंसात्मक होता है।

प्रस्तावना-  आतंकवाद का कोई धर्म, कोई राष्ट्र, कोई भाषा, कोई घर, कोई परिवार नही होता। उनका एक ही मकसद होता है ” विरोध”। अगर और स्पष्ट रूप से समझा जाये की आतंकवादी कौन है, तो ये एक समूह है जिसमे हर व्यक्ति का सामान उद्देश्य होता है। वह उद्देश्य ही आतंकवाद को जन्म देता है। और आतंकवादी उद्देश्य की पूर्ति करते है। वे देश को या देश के नागरिकों को जान-मान तक कि हानि पहुचाते है।आतंकवादी आतंकवाद फैलाने के लिए जगह जगह दंगे करवाते है। वे अलग अलग टुकड़ी में विभाजित होकर दुनिया के अलग अलग कोने की शांति भंग करते हैं। कई बार अपने मकसद में कामयाब होने की जद्दोजहद में वे बारूद के बम को ब्लास्ट करवाते है। वे ऐसी जगहों पर बम को लगाते है जहां बड़ी संख्या में लोग आते जाते रहते हो। जैसे कोई मॉल, बाजार, थिएटर इत्यादि। वे विभिन्न प्रकार के हानिकरक बम का इस्तेमाल करते है। आतंकवाद जब एक दो जगह से बढ़ते बढ़ते बहुत सारी जगह होने लगे तब ये काफी चिंता का विषय होता हैं। आज भी ये चिंता का विषय है।

आतंकवादियों का मकसद एवं उद्देश्य- बिना उद्देश्य व बिना किसी मकसद के तो कहा जाता है कि पत्ता भी नही हिलता फिर ये तो गोलियों की आवाजों, दंगों, व बम विस्फोट की बात है। आतंकवादियों का मकसद भी इसी प्रकार अलग अलग है। किसी के अंदर बदले की भावना होती है तो वह आम लोग को नुकसान पहुंचाते हैं। इसमे विचारों का अहम हिस्सा है। जब कोई व्यक्ति अपने कार्य को सिद्ध करने या करवाने के लिए हिंसात्मक होने का विचार बनाता है वहां से ही आतंकवाद की शुरुवात हो जाती है। हिंसा का रास्ता अपनाने की शुरुवात विचारों से ही होती है। आतंकवादियों का मकसद हर बार अलग अलग होता है। कुछ अपने संगठन के लोगों को सरकार से छुड़वाने के लिए आतंकवाद के प्रसार का  रास्ते अपनाते है। जिससे सरकार उनके संगठन के लोगो को छोड़ दे। वे देश के मासूम लोगो को अपना निशाना बनाते है। कुछ लोग के विचार वर्तमान सरकार से अलग होते है वे चाहते है कि सिर्फ दुनिया मे हमारी ही चले। कुछ पैसों के लिए आतंवादी बनते है। कुछ लोग किसी की हत्या को रोकने के लिए पैसे की मांग करते है जिससे उन्हें पैसा मिले पैसा मिलते ही वह अमुख व्यक्ति को छोड़ देते है। आतंकवादियों के अलग अलग संघठन होते है। अलग अलग मकसद से होते है।अलग अलग जगहों पर होते है। माना जाता है कि आतंकवाद घरेलू स्तर याने की एक गांव में , राष्ट्रीय स्तर याने कुछ अमुख मुल्कों में एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर अर्थात हर जगह फैलाया जाता है। अपने मन मर्ज़ी के लक्ष्यों को पूर्ति करने के लिए लोग हिंसा का सहारा अपनाते है। उनके बेशक उद्देश्य अलग अलग होते है। जैसे राष्ट्र की शांति भंग करना, बदला लेना, पैसे हड़पना, राष्ट्र की बदनामी करना,दंगे भड़काना इत्यादि।परंतु मकसद एक ही होता है ” हिंसात्मक रूप से अपने कार्य को, अपने लक्ष्य को पूरा करवाना”। जब आतंकवादी हिंसा को अपना कर अपने कार्य पूर्ण करवाते है उसी को हम आतंकवाद कहते है। जैसे जैसे लोगो में अलग व गलत कार्य सिद्ध करवाने की आशा बढ़ती है, वैसे वैसे आतंकवाद में भी तेजी से बढ़ोतरी होती है।

आतंकवादी बनने की वजह- आतंकवादी कोई दूसरे ग्रह से आये एलियन नही है। वे भी हमारी ही तरह इंसान है। जिस तरह से देश की रक्षा करने का जस्बा या साहस हमारी बॉर्डर के लोगों में होता है। ठीक वैसे ही आतंकवादियों में आतंक फैलाने का कीड़ा होता है। लेकिन हमारी सीमा पर जो सैनिक तैनात है उन्हें कही न कही से वहां डटे रहने की प्रेरणा मिलती है। तो हम ये क्यों नही समझते कि आतंवादियों को भी आतंकवाद करने और उसमें डटे रहने की प्रेरणा मिलती है। जब हम अच्छी प्रेरणा को बढ़ावा देते है तो बुरी प्रेरणा को कम क्यों नही करते है? 

आपके हृदय में इस क्षण जो भाव आया वही भाव देश के नागरिकों को आना चाहिए। 

एक व्यक्ति आतंकवादी बनने से पहले एक आम इंसान होता है। ताज्जुब की बात ये है कि लोग आतंकवादी को इस प्रकार देखते है कि जैसे उसने जन्म ही आतंकवादी के रूप में लिया हो। उनके जीवन मे क्या मुश्किलें रही जिसके कारण उन्हें आतंकवादी बनना पड़ा ये 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोग समझने का कभी प्रयास नही करते। तरह तरह के कारण की वजह से लोग आतंकवाद का रास्ता अपनाते है। अधिक लोग इसमे मजबूरी के कारण जाते है। कोई पारिवारिक समस्या होती है या फिर उनके माहौल में असंतुलन। बचपन से किसी बच्चे को हर छोटी चीज़ के लिए डांटा जाए मारा जाए ये बेहद खराब स्थिति देख बच्चे के दिमाग पर असर पड़ता है। हो सकता है अपना जीवन जीने वो अपने रास्ते पर निकले और उसे गलत संगति मिल जाये। वह व्यक्ति पहले से ही आहत है। वो आसानी से लोगो की बातों में आकर गलत रास्ते पर जा सकता है। इसी प्रकार के कई कारण होते है। जिससे बच्चे के मस्तिष्क पर असर पड़ता है। वह क्रोध करता है। हिंसा का मार्ग अपनाता है। लेकिन इस सूची में आने वाले महज 5 प्रतिशत लोग ही आतंकवाद का सहारा लेते है। बाकी के बचे लोग की आतंकवाद को अपनाने की अलग वजह होती है। और उन सब मे से सबसे बड़ी 2 वजह है “शिक्षा एवं बेरोज़गारी का अभाव”। 

जिस भी क्षेत्र में ज्ञान की कमी है, वहां आतंकवादी आम जन ही है। 

जब व्यक्ति शिक्षित हो जाता है पर उसे रोज़गार मुहैया नही कराया जाता, वह व्यक्ति अपने आप को दुनिया का बदनसीब इंसान समझता है। जब लंबे समय तब समान स्थिति बनी रहे तो इसके बाद उनके पास आतंकवाद के रास्ते खुलते है। देश ये युवाओं को आतंकवादी संगठन ढूंढते है उन्हें प्रेरित करते है कि हमारे साथ जुडो। जिन लोगो के पास नौकरी नही होती ऐसे लोग बड़ी आसानी से जाल में यह सोच कर फस जाते है कि कमसे कम हमे पैसा तो मिलेगा, भूखे तो नही रहेंगे। कुछ लोग इसी प्रेरणा से और कुछ मजबूरी से आतंकवादी बन जाते है।

आतंकवाद को कम करने का उपाय- आतंकवाद को कम करने के लिए हमे दीर्घदृष्टि की आवश्यकता है। सबसे पहले हमें उन्हें समझते हुए उनका दिमाग पढ़ना होगा और ये समझना होगा कि वे किस वजह से आतंकवाद में आये। अलग अलग टुकड़ी का उद्देश्य इसी प्रकार समझना होगा। आतंकवाद कम करने के लिए आतंकवादी कम करने पड़ेंगे। और आतंकवादी कम करने के लिए शिक्षा का संचार करना होगा। जिससे इन व्यक्ति के बाद में आतंकवादी बनने वाले व्यक्ति की संभावना इस रास्ते पर आने को लेकर है वह शून्य हो जाएं। शिक्षा के माध्यम से अच्छा और बुरा पहचानने में लोगो को मदद मिलेगीं। साथ ही उन लोगो को हृदय से समझने की आवश्यकता हैं। जिससे आतंकवाद की संभावना जड़ से खत्म हो पाए।जिनके पास शिक्षा नही है उन्हें शिक्षित करे। जिनके पास रोज़गार नही है उन्हें रोज़गार मुहैया कराए।जो तनाव ग्रसित है उनसे उनकी समस्या पूछी जाए। जो अलग विचार रखते है उनसे स्पष्ट बात की जाए। जो नामुनकिन है उसे मुमकिन किया जाए। फिर जब आतंकवादी ही नही बचेंगे तो आतंकवाद कहाँ से  होगा। खाली दिमाग मे जो अंकुरित करते है, परिणाम स्वरूप वही सामने आता है। इसीलिए सरकार को शिक्षा, रोज़गार दोनो मुहैया करने की आवश्यकता है। 

उपसंहार- अगर आम लोग की बात है तो हमे भी आतंकवाद कम करने में योगदान देना चाहिए। अपने आस पास के लोगो की मदद करे। कोई अनपढ़ है तो आप उसे पढ़ाई में मदद करिए। कोई परेशान है तो उसके जीवन मे सुधार का हिस्सा बनिये। जो व्यक्ति आतंकवादी बनता है वह हमारे बीच का ही कोई व्यक्ति होता है। वह आतंकवादी बनने से पहले एक आम इंसान की ज़िंदगी जी रहा होता है। ध्यान रखिये की आपके बीच का व्यक्ति कभी आतंकवाद का रास्ता न अपनाए। इसकी जिम्मेदारी अगर हर व्यक्ति लेगा तो आतंकवाद जड़ से नष्ट हो जाएगा।

उनकी पीड़ा को न समझ कर देशद्रोही का खिताब देने की बजाए पीड़ा को समझे और जिस प्रेरणा से वह आतंकवादी बन सकते है उस प्रेरणा को मिटाए। 

समझदार है तो ज़िम्मेदारी लीजिये, वरना विनाश के ज़िम्मेदार भी खुद को ठहराइये। 

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