10 Lines on World Braille Day in Hindi । विश्व ब्रेल दिवस

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आज हम “विश्व ब्रेल दिवस पर 10 लाइन्स निबंध” लेकर आपके समक्ष आये है, इस आर्टिकल में आप ’10 Lines on World Braille Day in Hindi’ में पढ़ेंगे। हिंदी

World Braille Day in Hindi

नेत्रहीन लोगों को पढ़ाने और शिक्षित करने के लिए एक ऐसी लिपि की आवश्यकता होती है, जिसे नेत्रहीन व्यक्ति स्पर्श द्वारा पढ़ लिख सके। लुई ब्रेल एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने नेत्रहीन लोगों के लिए ऐसी लिपि का आविष्कार किया,जिसे नेत्रहीन स्पर्श द्वारा पढ़ सकते हैं। इनके नाम के आधार पर इस लिपि का नाम ब्रेल पड़ा। लुई ब्रेल को श्रद्धांजलि देने और नेत्रहीन लोगों को पढ़ाने के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है।

ब्रेल दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 6 नवंबर 2018 को एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें हर साल 4 जनवरी को ब्रेल लिपि के जनक लुई ब्रेल के जन्मदिन को विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। जिसके बाद 4 जनवरी 2019 को पहली बार ब्रेल दिवस मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में तकरीबन 40 मिलियन लोग नेत्रहीन है। वहां करीब 253 मिलियन लोग किसी ना किसी हादसे या आंखों से जुड़ी समस्या से जूझ रहे हैं, ऐसे लोगों के लिए ब्रेल लिपि बहुत ही मददगार होती है। इस ब्रेल लिपि के जनक थे लुइस ब्रेल। 

कौन थे लुई ब्रेल?

 लुइ ब्रेल एक फ़्रांसिसी शिक्षक और दृष्टिहीन लोगों द्वारा उपयोग किए उपयोग के लिए पढ़ने और लिखने की एक प्रणाली के आविष्कारक थे। उनकी प्रणाली आज तक लगभग अपरिवर्तित बनी हुई है और पूरी दुनिया में ब्रेल लिपि के नाम से जानी जाती है। लुइ ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को पेरिस (फ़्रांस) के पूर्व में लगभग 20 मील दूर कुपवे नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम साइमन ब्रेल तथा मां का नाम मोनिका ब्रेल था। इनके पिता घोड़ों की काठी बनाने का काम करते थे। लुई ब्रेल तीन भाई-बहन थे। इनके घर की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी इसीलिए लुई ब्रेल पिता का हाथ बंटाने लगे। अपने पिता के साथ काम करने के दौरान काठी के लिए लकड़ी को काटने में उपयोग किए जाने वाला चाकू अचानक लुई की आंख में जा लगा और खून बहने लगा। परिवार वालों ने बालक की चोट को साधारण समझकर उसकी मरहम पट्टी करने लगे पर वह दूसरी नेत्र से भी कम देखने लगे थे। परिवार वालों की लापरवाही के कारण लुई ब्रेल पूरी तरह से अंधे हो गए। लुई ब्रेल बचपन से ही और तेज बुद्धि के थे। बालक ब्रेल में सीखने की जिज्ञासा दृष्टिहीन होने पर भी कम नहीं हुई। लुई ब्रेल के इस काबिलियत को देखकर चर्च के पादरी ने उनका दाखिला पेरिस के एक दृष्टिबाधित विद्यालय में करवा दिया। दृष्टिहीन होने के कारण ब्रेल को रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ की तरफ से छात्रवृत्ति भी मिलती थी। लुइ ब्रेल ने लिपि की भाषा में सुधार किया और 64 अक्षर और चिन्ह का आविष्कार किया। मात्र 16 साल की उम्र में ही उन्होंने इन चिन्हों का आविष्कार कर लिया था पर जीते जी ब्रेल लिपि को मान्यता नहीं मिली थी। 43 वर्ष की अल्पायु में 6 जनवरी 1832 को दुनिया भर के नेत्रहीन लोगों को प्रामाणिक भाषा देने वाले लुई ब्रेल का निधन हो गया। उनकी मृत्यु के 16 साल बाद 1868 में ब्रेल लिपि को प्रामाणिक रूप से मान्यता मिली और यह भाषा दुनियाभर में मान्य है।

 4 जनवरी 2009 को जब लुई ब्रेल के जन्म के 200 वर्ष पूरे हुए थे, तब भारत में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी करवाया गया था। उनकी ब्रेल लिपि में सभी धर्मों के ग्रंथ रामायण, कुरान, बाइबल सहित भागवत गीता भी मौजूद है।

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य ब्रेल लिपि को संचार के साधन के रूप में तथा उसके महत्व को समझाने के लिए साथ ही साथ लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम नेत्र रोगों के विषय पर उनकी पहचान और उनकी रोकथाम के विषय जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। साथ ही बहुत से स्थानों पर नेत्र शिविर का आयोजन किया जाता है, जहां नेत्र संबंधी समस्याओं की पहचान करके उसका निदान कराया जाता है। 

10 Lines on World Braille Day in Hindi

  1. लुई ब्रेल के पिता घोड़ों की काठी बनाने का काम करते थे।
  2. लुई ब्रेल दो-तीन साल से ही पिता के साथ काम में हाथ बढ़ाते थे।
  3. एक बार काम करने के दौरान एक चाकू लुई ब्रेल की आंख में जा लगा,जिससे परिवार ने उतना ध्यान नहीं दिया।
  4. चार लुई ने बचपन में ही अपने दोनों आंखें खो दी थी।
  5. लुई बचपन से ही मेधावी छात्र थे थे।
  6. उन्होंने नेत्रहीन लोगों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया।
  7. इस महान व्यक्ति को उनके जीते जी उनके द्वारा बनाए गए लिपि को मान्यता नहीं मिली।
  8. मात्र 43 वर्ष की अल्पायु में ही ने इन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
  9. उनकी मृत्यु के 16 वर्ष पश्चात 1868 में ब्रेल लिपि को प्रामाणिक रूप से मान्यता मिली।
  10. उनके इस अभूतपूर्व योगदान के लिए दुनिया उन्हें हमेशा याद रखेगी।

5 Lines on World Braille Day in Hindi

  1. नेत्रहीन लोगों के लिए ब्रेल एक लिपि है, जिसके माध्यम से वे पढ़ लिख सकते हैं।
  2. मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही लुई ब्रेल ने ब्रेल लिपि का आविष्कार कर लिया था।
  3. लुई ब्रेल का जन्म फ्रांस के कुपवे गांव में 4 जनवरी 1809 को हुआ था ।
  4. वे एक मध्यम परिवार से संबंधित थे। 
  5. उनके पिता का नाम साइमन ब्रेल तथा मां का नाम मोनिका ब्रेल था।

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FAQ on World Braille Day in Hindi

1) विश्व ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर -विश्व ब्रेल दिवस 4 जनवरी को मनाया जाता है।

2) विश्व ब्रेल दिवस क्यों मनाया जाता है ?

उत्तर- ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल को श्रद्धांजलि देने तथा नेत्रहीन लोगों में पढ़ाई के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है।

3) ब्रेल लिपि का आविष्कार कब हुआ?

उत्तर- ब्रेल एक तरह की लिपि है,जिसको विश्व भर में नेत्रहीन लोगों द्वारा पढ़ा-लिखा जा सकता है। इस लिपि का आविष्कार 1821 में हुआ।

4)ब्रेल लिपि में कितने अक्षर होते हैं?

उत्तर- ब्रेल लिपि में प्रत्येक आयताकार सेल में छह डॉट्स होते हैं,जो थोड़े उभरे होते हैं। इसमें कुल 64 अक्षर होते हैं।

5) ब्रेल लिपि के महत्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- ब्रेल उभरे हुए बिंदुओं की एक अनूठी स्पर्श लेखन प्रणाली है,जिसे नेत्रहीन और आंशिक रूप से देखने वाले लोग स्पर्श द्वारा पढ़ लिख सकते हैं। ब्रेल को समझने का अर्थ है कि दृष्टिहीन लोगों के पास सामान्य लोगों की तरह ही शिक्षा और लिखित शब्द तक की पहुंच होती है और वे जीवन भर पढ़ने लिखने में सक्षम होते हैं।