दुर्गा पूजा पर निबंध। durga puja essay in hindi

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दुर्गा पूजा हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। आज इस लेख में हम durga puja essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर durga puja essay पुछा जाता है। दुर्गा पूजा पे निबंध हिंदी में आप इस पोस्ट में पढ़ेंगे।

happy durga pooja

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते

दुर्गा पूजा हिन्दुओ के प्रमुख त्योहार में से एक है। देवी दुर्गा को शक्ति व पार्वती भी कहते है। पूरे भारत मे ये त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है। बच्चों से लेकर वृद्धों तक ये त्योहार उत्साह और उमंग की किरण लाता है। ये त्योहार विजय का प्रतीक है। नव दिन और नव रात्री तक देवी दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया था। देवी दुर्गा ने दानव महिषासुर को परास्त कर विजय प्राप्त की थी। भारतीय संस्कृति में दुर्गा पूजा बंगाली पंचांग के छठे माह आश्विन में, बढ़ते चंद्रमा की छठी तिथि से मनाया जाता है। कभी कभी इसे कार्तिक मास में भी मनाते है। 

प्रस्तावना– दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव भी कहते है। बंगाल का दुर्गोत्सव  पूरे देश मे प्रसिद्ध है। कही 5 तो कहीं 9 दिन तक  दुर्गापूजा का भव्य आयोजन होता है। श्रद्धा और निष्ठा से लोग देवी दुर्गा की पूजा करते है। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के प्रयास में लोग उपवास करके देवी की आराधना करते है। भगवान राम ने भी देवी दुर्गा का शीतकाल मे अकाल बोधन आह्वाहन किया था। इसीलिए इस त्योहार को अकाल बोधन के नाम से भी जाना जाता है। भारत के हर प्रदेश में दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। समूचे भारत मे बंगाल की दुर्गा पूजा की कीर्ति होती है। पूरे भारत मे हर जगह देवी दुर्गा  की उपासना, आराधना होती है। छ: दिवस  महालय षष्टी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयदशमी के रूप में मनाए जाते है। 

बंगाल की दुर्गा पूजा- बंगाल की दुर्गा पूजा विश्व प्रसिद्ध है। बंगाल क्षेत्र में सबसे बड़ा आयोजन दुर्गा पूजा का होता है। असंख्य संख्या में लोग अन्य देश व अन्य राज्य से देवी दुर्गा के दर्शन के लिए आते है। बंगाल में दुर्गा जी के बड़े बड़े पंडाल बनते है। जिन्हें फूलों दीपकों और अन्य सज्जित वस्तुओ से सजाया व सवारा जाता है। दुर्गा पूजा की तैयारियों में बंगाल वासी कोई कसर नही छोड़ते। जब देवी दुर्गा की मूर्ति का विषय सामने आता है तब देश के नामी कलाकार आकर माता की मूर्ति सृजित करते है। अप्रतिम कला के इस्तेमाल से मूर्ति को बनाया जाता है। दुर्गा जी की विशाल मूर्ति बनवाने के लिए लोग श्रद्धा से माता के चरणों मे नेक चढ़ाते है। 15 करोड़ का पंडाल कोलकाता में वर्ष 2018 में सजाया गया था। विशाल पंडाल में देवी दुर्गा जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होती है।

ऐसा प्रतीत होता है कि मानो साक्षात देवी दुर्गा हमारे सामने विराजमान है। देवी दुर्गा की एक झलक पा लेने को लोग अपना सौभाग्य समझते है।अलग-अलग मिष्ठान, पकवान,नैवेद्य आदि का भोग देवी दुर्गा को चढ़ाया जाता है। हर दिन के लिए देवी दुर्गा की सुंदर सुंदर पौशाख तैयार की जाती है। बंगाल की दुर्गा पूजा का भव्य कार्यक्रम 5 दिन का रहता है। षष्ठी के दिन प्राण प्रतिष्ठा होती है। महा सप्तमी पर माता की आराधना होती है। अष्टमी पर बलि व महापूजा की परंपरा है। नवमी के दिन विभिन्न कार्यक्रम होते है। देवी दुर्गा की कृपा से किसी कार्य मे विघ्न नही आते और नन्ही बालिकाओं को देवी दुर्गा का स्वरूप जान भोजन कराया जाता है। जगह जगह भंडारों का विशेष आयोजन होता है। देवी दुर्गा की आरती में लाखों की संख्या में लोग एकत्रित होते है।

सिन्दूर की होली दुर्गा पूजा का एक अनमोल हिस्सा है। जिसमे स्त्रियां पहले माता के माथे पर सिंदूर लगाती है। फिर उसी सिंदूर से होली खेलती है। इसी प्रकार से बंगाली नृत्य का भी विशाल आयोजन होता है। विभिन्न कलाओ के साथ नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है। प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है। प्रत्येक दिन को ज़ोरो शोरों से मनाते है। धीरे धीरे हर एक दिन धूम धाम से गुज़र जाता है। फिर दशमी का दिन आता है, जिस दिन प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि ये दिन काश यही थम जाए। दशमी का दिन वह होता है जब देवी दुर्गा आमजन से विदाई लेती हैं। देवी दुर्गा के विसर्जन को सोच कर ही आमजन अश्रु से पूर्ण, भावविभोर हो जाता है। मानो कोई माँ को अपने संतान से दूर कर रहा हो।चाह कर भी माता को लोग रोक नही पाते। अलगे वर्ष जल्दी से दुर्गा जी वापिस आएंगी इसी आस के साथ देवी दुर्गा का विसर्जन किया जाता है। माता को फूलों के सेज पर बैठाकर उनकी पूजा के बाद यही आस से विसर्जन किया जाता है की माँ दुर्गा दोबारा हमारे बीच फिर आएंगी।

अन्य प्रदेश व विदेश में दुर्गा पूजा-  दुर्गा पूजा का भारत के हर राज्य में महत्व है। असम, बिहार, झारखंड, मणिपुर, ओडिशा, त्रिपिरा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, कश्मीर, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश आदि हर प्रदेश में मनाते है। गुजरात, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश में इसे नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात की नवरात्रि में गरबा नृत्य प्रसिद्ध है। वहां गरबा का विशाल आयोजन होता है। सब सुंदर पौशाख  लहँगा-चोली  पहन कर आते है। हिमाचल प्रदेश में इसे कुल्लू घाटी के नाम से जाना जाता है। तमिल नाडू में बोमाई गोलू के नाम से जानते है।

सभी प्रदेश में जगह जगह देवी दुर्गा के पंडाल सजाये जाते है। 250 से अधिक पंडाल दिल्ली जैसे बड़े शहर में लगते है। देवास मध्य प्रदेश में 9 दिन का मेला लगता है। वैष्णोदेवी के धाम में रौनक के साथ माता के प्रेम में सब नत्मस्तक नज़र आते है।

विदेश में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, सिंगापुर जैसे कई देशों में दुर्गा पूजा का महा पर्व मनाया जाता है। नेपाल में और भूटान में ये पर्व भारत की तरह ज़ोरो शोरों से मनाया जाता है। माता के भक्त सिर्फ भारत मे नही बल्कि समुचे विश्व मे है। विदेशो में भी बड़े बड़े पंडाल में माता को बैठा कर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। बड़े बड़े आयोजन व प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। भारत के प्रवासी इसे पूरी निष्ठा के साथ मानते है।

देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वद्ध-  महिषासुर रंभ और जल में रहने वाले भैंस के योग से जन्मा दानव था। महिषासुर कभी मनुष्य तो कभी भैंस का रूप धारण कर लेता था। यह ब्रह्मा का भक्त था। महिषासुर को ब्रह्मा जी द्वारा वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसे मार नही सकता। इस वरदान का गलत इस्तेमाल कर वह देवताओ को परेशान करता था। महिषासुर ने इंद्र देव को भी परास्त कर दिया था। महिसासुर से परेशान होकर सभी देवताओं ने साथ मिलकर युद्ध किया पर असफल रहे। अपनी समस्या का समाधान प्राप्त करने सभी देवता ब्रह्मा विष्णु व महेश के पास गए। और तब भगवान द्वारा माँ दुर्गा का सृजन हुआ। नव दिन और नव रात्री तक दुर्गा जी ने युद्ध किया और दशमी की दिन महिषासुर जैसे दानव का स्त्री रूपी भगवान,माँ दुर्गा द्वारा विनाश हुआ।

एक स्त्री की शक्ति का प्रतीक है ये त्योहार। भगवान द्वारा रचित ये कथा दर्शाती है की स्त्री शक्ति विश्व की कोई भी शक्ति से बड़ी है। नारी जो चाहे वो हासिल कर सकती हैं। नारी शक्ति के रूप में देवी दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया और समूचे विश्व को नारी शक्ति का बोध कराया।

उपसंहार- देवी दुर्गा के पराक्रम से नारी शक्ति की विजय हुई। दुर्गा पूजा उनकी उपासना के साथ साथ लोग स्त्री को आदर व सम्मान देने के लिए भी मनाते है। दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ नारी की भी विजय का पर्व है। जिस राक्षस को कोई देवता नही परास्त कर पाए उसका देवी दुर्गा ने सर्वनाश किया। दुर्गा पूजा लोगो के हृदय को भाव विभोर करने वाला पर्व है। देवी दुर्गा से सब मंगल जीवन, यश, समृद्धि की कामना करते हैं। ये पर्व दर्शाता है कि स्त्री को हमे कम नही आंकना चाहिए। वो अगर कोमल वाणी व हृदय से सबका भला कर सकती है तो वो अपने क्रोध से दुश्मन का सर्वनाश भी कर सकती है।

दुर्गा जी की कृपा दृष्टि हर एक व्यक्ति पर बनी रहे ये ज़रूरी नही, 

पर अगर आपके हृदय में सच्चाई है, तो माता का वास हमेशा आपके दिल मे ही होगा।

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