होली पर निबंध । Essay on Holi in Hindi

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होली त्यौहार हिन्दुओ का प्रसिद्ध त्यौहार है। भारत की संस्कृति का एक बहुत बड़ा अंग है। आज आप इस पोस्ट में essay on holi in hindi पढ़ेंगे। होली पर निबंध स्कूल और कॉलेज में जरूर पुछा जाता है। होली पर प्रस्तुत निबंध को आप essay on holi in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

happy holi
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गुलाल, पिचकारी,भोले नाथ को भांग 

      होली के दिन की यही है विशेष पहचान। 

होकर सबके साथ लीजिये रंगों का आनंद। होली जो कि रंगों का त्योहार है। लाल, पीले, नीले, हरे, गुलाबी, केसरी और अन्य रंगों का एक मात्र त्योहार है होली। सारे रंग अलग होकर भी एक समान होते है और होली के त्योहार पर हर घर परिवार प्रफुल्लित होते है। होली को कई जगह फगुआ और धुलेंडी के नाम से भी जाना जाता है। रंगों का त्योहार होली विशेष रूप से बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। विजय सिर्फ इंसान की  नही, बल्कि मनुष्य हृदय की बुराइयों  पर भी विजय का प्रतीक है। समूचे भारत मे इस दिन हर्षउल्लास की भावना होती है। 

प्रस्तावना-  हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि  को होली मनाई जाती है। होली प्रमुख रूप से हिन्दुओ का त्योहार है परंतु इसे सभी धर्म के लोग उत्साह पूर्वक मनाते है। आज के दिन की मान्यता विगत दशको से चली आ रही है। उदाहरण के तौर पर देखे तो प्राचीन समय मे राजा अखबर और जोधाबाई के होली खेलने का भी उल्लेख है।प्राचीन समय के कई चित्रों में भी होली के दृश्य देखने मे आये है।वैसे तो ये त्योहार 2 दिन का होता है पर कई जगहों पर इसे 5 दिन तक मनाया जाता हैं। रंगपंचमी मनाने की भी परंपरा है। इसी तरह पांच दिन तक ये त्योहार धूम-धाम से ज़ोरो-शोरों से चलता है। होली सभी के हृदय में उत्साह, प्रेम, विजय व रंगों के प्रति रुचि और निष्काम प्रेम जगाता है।इसकी धूम से कुछ क्षण के लिए सारा वातावरण मोहती व रंगमय हो जाता है। 

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होली मनाने के तरीके-  होली उम्रदराज़, जवानों व बच्चों सभी को खुश करने वाला त्योहार है। पूर्णिमा को होलिका दहन होता है। शाम को लोग लकड़ी व उपले से घांस का ढेर बनाते है। बेहद सुंदर तरीकों से उसे सजाते है। घर की महिलाएं सुंदर वस्र धारण करती है। विभिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे खीर, पूरी, हलवा आदि बना कर पूजा के लिए जाती है। गांव व शहर में हर जगह होलिका दहन होता है। महिलाएं पूजा करके होलिका की परिक्रमा करती है।फिर प्रभात में ग्राम के मुखिये व किसी बुजुर्ग व्यक्ति से होलिका दहन करवाया जाता है।कई स्थानों पर रात्रि में दहन की परंपरा भी है। इसके बाद सुबह होते ही बच्चे अपने हथियार याने के पिचकारी निकलते हैं। उसमें रंग भरकर एक दूसरे पर डालते है। बच्चों के लिए पिचकारी उनका सबसे पसंदीदा खिलौना होता है। वो बहुत लंबा इंतज़ार करते है होली के दिन का जिससे वो अपनी पिचकारियों की कला सबको दिखा सके। ये त्योहार सबसे ज़्यादा बच्चों को मनोरंजित करने वाला त्योहार है। बड़े लोगो में भी उत्साह कुछ कम नही होता है।वे एकत्रित होकर एक दूसरे को रंग लगते है। घुल मिलकर नाचते गाते है।आज के दिन एक दूसरे के घर जाकर ढूंढ ढूंढ कर अपने मित्रों को रंग लगते है। कहा जाता है कि आज के दिन दुश्मन भी अपने सारे गीले शिक़वे माफ कर एक  दूसरे को रंग लगते है।आज के दिन कई लड़ाईयों का सुला होता है। ढोल बाजे बजाए जाते है, जुलूस निकाले जाते है।आज के दिन ऐसा प्रतीत होता है कि मानो प्रकृति भी होली खेल रही है। होली के रंगों से वातावरण महक उठता है। सुंदर रंगों की रंगोली वातावरण में आकाश की और नज़र आती है।खेतो में सरसों खिलती है।पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य सभी उल्लास से भर जाते है।शाम के वक़्त सभी एक दूसरे के घर जाते है और होली की शुभकामनाएं देते है। सभी घरों में पख्वान बनाये जाते है। जिसका आनंद बच्चे कई दिनों तक लेते है। शाम के वक़्त विभिन्न स्थानों पर विशाल मेले का भी आयोजन होता है। जिसमे झूले, खाने पीने की चीजें व खरीदी के सामान होते है। सब दोस्त मेले का आनंद लेने जाते है।

जिन प्रदेशों में रंग पंचमी सबसे प्रसिद्ध है वह महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश है। यहा बड़े ही धूम धाम से रंग पंचमी मनाई जाती है। डीजे पर हिंदी फिल्मों के गाने बजाए जाते है। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। हरियाणा में होली को देवर भाभी का त्योहार मानते है। जिसमे देवर भाभी को रंग लगता है। मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में इस त्योहार को आदिवासी धूम धाम से मनाते है।

विदेश में होली-  हिन्दू आबादी वाला देश नेपाल भी होली मनाता है। वहां भी लोग धूम धाम से होली मानते है। एक दूसरे पर गुलाल डालते है। विधि विधान से होलिका दहन करते है।जिन देशों में अल्पसंख्यक हिन्दू है वहां भी ये त्योहार मनाया जाता है।जो भारतीय अन्य देश में रह रहे है वे भी इस त्योहार को हर्ष उल्लास से मनाते है।

ब्रज की होली- भारत के हर प्रदेश और विश्व के हर देश मे ब्रज की होली प्रसिद्ध है। जिसे लठमार होली बोलते है। ब्रज की होली देखने लोग दूर दूर से आते हैं। मथुरा वृन्दावन में होली का सबसे बड़ा व विशेष आयोजन होता हैं। यहां की होली का आनंद लेने लाखों कि संख्या में लोग एकत्रित होते है। बांके बिहारी मंदिर में होली के दिन मानो स्वयं श्री कृष्ण की लीला होती है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण, राधा रानी व अन्य प्रभु प्रेमी गोपियों ने होली के दिन रास किया था। तबसे वहाँ की होली हर साल धूम धाम से आनंद मग्न होकर मनाई जाती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान कृष्ण राधाजी और गोपियाँ आज भी रास रचते है। इस्कोन मंदिर में भी होली मनाई जाती है। पूरा नगर खुशी से झूम उठता हैं। पूरे मथुरा वृन्दावन में रंगों की बहार होती है।आज के दिन की अनेकोनेक मान्यता है।माना जाता है कि आज के दिन भगवान कृष्ण ने पूतना दहन किया था। इस आधार पर आज के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। इस दिन कामदेव का पुनर्जन्म भी हुआ था।

होली मनाने की प्रमुख वजह- होली मनाने के प्रमुख कारणों में से एक है असुर हिरणाकश्यपु की कथा। विगत वर्षों पहले एक राजा हिरणाकश्यपु था। वह अपने आप को ईश्वर मानता था। उसके राज्य में जो भी ईश्वर का नाम लेता था उसे वह दंडनीय अपराध मान सजा देता है। सभी लोग हिरण्यकशिपु से डरते थे और कभी भगवान का नाम नही लेते थे। अपने आप को ईश्वर कहलाने में उसका मन प्रसन्न होता था। वह अपने राज्य में किसी ओर की उपासना नही करने देता था। साधु संतों के साथ अत्याचार करता था। परन्तु उसका पुत्र प्रहलाद छोटा व समझदार था। वह विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यपु को ये पता चला तो उन्होंने प्रहलाद को मरवाने के अथक प्रयास किये । परंतु हर बार वह बच जाता था। एक बड़ी खदान में प्रहलाद को फेका,  वहां से भी प्रहलाद जीवित आ गए थे। क्रोधित हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका को बुलाया। होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नही जल सकती। इसीलिए हिरण्यकश्यपु ने होलिका को आदेश दिया कि प्रहलाद को गौद में लेकर आग में बैठे। इसके बाद का अंजाम अप्रतियाशीत था। इस बार भी विष्णु भक्त प्रहलाद आग से बच गया।होलिका का आग में दहन हो गया। हिरण्यकश्यपु ये देख बड़ा विचलित व दुखी हुआ। लेकिन जीत उस दिन अच्छाई की ही हुई। तबसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में ये त्योहार मनाया जाता है। और हर वर्ष होलिका दहन होता है। विजय की खुशी में सब रंगों से अपनी खुशी जाहिर करते है। सभी आज के दिन खूब जश्न मनाते है।एक दूसरे के प्रति एकता व भाईचारा बढ़ता है। विष्णु के भक्त और सत्य के मार्ग पर होने से आग भी भक्त प्रहलाद का बाल भी बांका नही कर पाई। 

उपसंहार-  समूचे विश्व मे होली का त्योहार प्रसिद्ध है। रंगों से एकता व समानता का भाव, होलिका दहन से विजय का भाव इस अनमोल त्योहार की अनोखी पहचान है।इस दिन लोग अपने सारे गमों को कुछ क्षण के लिए भूल जाते है। होली से आनंदित, प्रफुल्लित व प्रसन्न हो जाते है। जाने अनजाने सही के मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाते है। जीवन मे गलत को छोड़ कुछ करुणामयी व दीन व्यवहार की भावना लाते है। सभी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में इस दिन अवकाश होता है। सभी बच्चे होली के दिन बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर सही मार्ग पर बने रहने का आशीर्वाद पाते है। कोई रंग ना भी लगवाए तो उसे खुशी से रंग लगा कर बच्चें बस यही वाक्य दोहराते है…

      बुरा ना मानो, होली है……………!!

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