सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध। Sardar Vallabhbhai Patel Essay in Hindi

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सरदार वल्लभाई पटेल जी जिन्हे हम सभी लौह पुरुष के नाम से भी जानते है। भारत की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता पश्चात उनके द्वारा किये गए कार्यो को भारत कभी भूल नहीं सकता है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में sardar vallabhbhai patel essay in hindi ले कर आये है । इस सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on sardar vallabhbhai patel in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

एक राष्ट्र सर्वश्रेष्ठ, वल्लभ भाई पटेल का यही उद्देश्य था। वे ऐसे राजनेता थे जिन्हें शुरुवात से राजनीति में कोई दिलचस्पी नही थी। अपने जीवन मे देश के प्रति समर्पण का भाव रखने वाले एक क्रांतिकारी थे। जिनके कारण देश मे बड़े परिवर्तन स्थापित हुए।आज बात करेंगे ऐसे महापुरुष  की जिन्हें समूचे देश मे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।जिन्होंने अपने कार्यो से देश को लाभान्वित किया। देश के प्रसंस्करण को गति दी। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने जीवन में अनगनित संघर्ष किये।उन्होंने न केवल देश के लिए योगदान दिए। उन्होंने अपने निजी जीवन मे भी बेहद कठिन वक़्त का सामना किया। वे जीवन मे परेशान बेशक रहे परंतु कभी उन्होंने हार नही मानी।

प्रस्तावना-  वल्लभ भाई पटेल को “सरदार” वल्लभ भाई पटेल उनके कार्यो के कारण बोला जाता था।उन्होंने देश को अपने कार्यो से सुशोभित किया। लोगो ने उन्हें उनके व्यवहार, न्याय प्रियता और लोगो को इंसाफ दिलाने के कारण सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से सम्मानित किया। हमने हमारे देश के लिए समर्पण देने वाले हर क्रांतिकारी के बारे में जाना और साथ ही उनके योगदानो को सराहा। परंतु सरदार वल्लभ भाई पटेल केवल क्रांतिकारी नही वे सबसे प्रिय राजनेता, लेखक एवं सारे देश को एक करने वाले महापुरुष थे। सरदार वल्लभभाई पटेल स्वतंत्र  देश के प्रथम ग्रह मंत्री व उप प्रधानमंत्री थे। उन्हें लोग लोह पुरुष भी बोलते है। सरदार वल्लभभाई पटेल लोगो के प्रिय राजनेता थे। वे आत्मविश्वास से परिपुर्ण नेता थे। उन्हें लोग एकता की मिसाल भी बोलते है। वे 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले के नाडियाद कस्बे में जन्मे थे।उनके पिता झेवर भाई पटेल व माता लाड़वा थी। वल्लभ भाई पटेल कुशल नेतृत्व में भी एक प्रेरणा थे।सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन की आज भी लोग मिसाल देते है। जब भी देश मे किसी प्रकार के भेदभाव का व जब दो राहे नज़र आती है तब हर बार वल्लभ भाई पटेल को लोग याद किया जाता हैं। आज भी एकता के नाम पर उन्हें जाना माना जाता है।उन्हें गांधी जी ने सरदार की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्होंने देश के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वल्लभ जी का बचपन व पढ़ाई काल-  सरदार जी बचपन से ही साहसी थे। उन्होंने अपने जीवन के प्रथम वर्षों की पढ़ाई गुजरात में ही की। 1893 में उनका विवाह झावेरबा पटेल से हुआ। उनका एक बेटा व एक बेटी हुई। कुछ समय बाद कुछ समस्या के कारण वे गोधरा में रहे।उनके जीवन में अब कुछ समस्याएं आयी थी। जिसके कारण वे परेशान रहें। वे बेहद साहसी कार्य में भी हमेशा आगे रहे। परंतु कुछ समस्याएं झंझोड़ने वाली होती है। जिससे उभरने में समय लगता है। उनकी पत्नी को कैंसर हुआ। वह बीमार रहने लगी। इसके बाद 1909 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी। कैंसर के कारण उनकी जान चली गईं। वल्लभभाई पटेल को इसका बहुत दुख हुआ। उन्हें इससे उभरने में काफी वक्त लगा। परंतु वह एक दौर था जो गुज़र गया था। उन्होंने अपनी रुचि को पहचान, आगे बढ़ने का सोचा। उन्होंने निर्णय लिया कि वे बेरिस्टर की डिग्री हासिल करेंगे। जब कोई बात ठान ली थी तो वो उसे करने के लिए पूरी मेहनत करते थे। उन्होंने उम्र न देखते हुए अपने निर्णय के साथ आगे बढ़ने का सोचा। जो ज़िंदगी थी उसमें अपने आप को कुछ समय और आत्मविश्वास के साथ वापिस जीने का सोचा। उनकी उम्र 36 वर्ष थी जब उन्होंने ये निर्णय लिया था। 36 वर्ष की उम्र में वह बैरिस्टर की डिग्री हासिल करने इंग्लैंड गए। वहां रहकर उन्होंने बहुत कुछ सीखा। अपने मन मष्तिष्क को विकसित किया।इंग्लैंड में मिडिल टेम्पल इंन्स ऑफ कोर्ट लंदन से पढ़ाई की। वहां जाकर उन्होंने अपने आप को नया जीवन देना सीखा। वे बेहद होनहार थे जो उन्होंने 36 महीने के कोर्स को 6 महीने पहले पूरा किया। 36 माह में से महज 30 माह में उन्होंने अपना कोर्स सफलतापूर्वक संपन्न किया।इस प्रकार उन्होंने बैरिस्टर डिग्री हासिल की।इसके बाद वे अपने देश भारत को लौटे। भारत आकर उन्होंने अहमदाबाद में वकालत की प्रैक्टिस की। उन्होंने अपनी प्रैक्टिस सफलतापूर्वक की। जिसमे उन्हें वकालत का गहरा अनुभव हुआ। सब कुछ ठीक चल ही रह था कि उनके जीवन मे एक नई समस्या आ पड़ी। भगवान भी महापुरुषों के इम्तेहान आवश्यक रूप से लेता हैं। उन्होंने अपने जीवन मे बहुत बार जीत हार का सामना किया। उन्हें फिर से एक बार अपने परिवार को छोड़ना पड़ा। उन्हें एक गंभीर बीमारी हो गयी थी। जिसके कारण उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा। उन्हें कोई संक्रामक रोग का सामना करना पड़ा था। फिर भी वे गिर कर संभले। सब ठीक होने के बाद उन्होंने फिर से कार्य शुरू किए। वे साहस, आत्मविश्वास, दृढ़ निश्चय की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अपने कार्यों में रुचि को फिरसे जगाया। वे अंग्रेज़ी में बात करने लगे।आपने कार्य के प्रति फिर के जागे। उन्होंने अपने जीवन मे कभी भी सीखना नही छोड़ा। यही विशेषता उन्हें और लोगों से अलग बनाती थी। उन्होंने हर छोटी बड़ी घटना से लड़ना व उभरना सीख लिया था। 

वल्लभभाई पटेल के प्रारंभिक योगदान- उनके जीवन में नए पड़ाव की शुरुवात का वक़्त था। उनके जीवन मे कुछ ऐसी गतिविधियां होने लगी थी जिसके कारण वे बड़े राजनेता के रूप में उभरे। उन्होंने अपने जीवन मे कभी राजनेता बनने का नही सोचा था। उनके कार्यो व अनुभव ने उन्हें लोगो मे प्रसिद्ध किया। उन्होंने बहुत ख्याति बटोरी। उन्होंने कई सारे आपराधिक मामले जीते। वे लोगो को इंसाफ दिलाने का काम करते थे। जिसके कारण व आम लोगों में बेहद प्रसिद्ध हुए। लोगो ने उनके न्यायशील व्यवहार को खूब सराहा। उन्होंने लोगो को हर छोटी बड़ी चीज में इंसाफ दिलाया। वे प्रखर वक्ता थे। जिस तरह से वो केस को लड़ते थे वह अंदाज़ लोगो के हृदय में उनके प्रति अपनापन व न्याय लाया। लोग धीरे धीरे जागरूक हुए। हर छोटे बड़े केस में न्याय की मांग रखी। और वल्लभभाई पटेल ने लोगो को न्याय दिला कर अपनी मनमोहक छवी बरकार रखी। धीरे धीरे लोगो के प्रेम ने उन्हें राजनेता बनाया। पहली बार 1917 मे उन्होंने पहला नगरपालिका चुनाव लड़ा। और बड़ी जीत हासिल की। उन्होंने खेड़ा आंदोलन में काम किया। अंग्रेजों द्वारा अत्याधिक कर वसूली के विरोध में सरदार वल्लभ भाई पटेल शामिल हुए। इसके बाद बारदोली के किसानों की जमीन व जानवर वापस दिलाये।ऐसे अनेक प्रयास व अनेक न्याय से वह लोगो मे अपने अस्तित्व को बनाये रहे। उनके यही कार्यों की वजह से उन्हें गांधी जी ने सरदार की उपाधि से सम्मानित किया था। जलियावाला बाघ कांड के बाद वे असहयोग आंदोलन में शामिल हुए।अंग्रेज़ी वस्तुओं का त्याग किया। खादी धारण कर अंग्रेज़ी कपड़े त्यागे। 1920 में कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए। इसी तरह वह आगे भी राजनेता रहे। वह 1922, 1924, 1927 में भी कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए। वर्ष 1945 तक उन्होंने देश को अपने कार्यो से इसी तरह सुशोभित किया।

आज़ाद भारत मे एकता लाये- अथक प्रयास व संघर्ष के बाद भारत देश आजाद हुआ। भारत की अलग अलग जगह के लोग अपना अलग देश बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि हम भारत मे शामिल ना होकर अपने खुद के अलग अलग देश बनाये। 562 अलग देश बनने की फिराक में थे। परंतु वल्लभ भाई पटेल ने सभी को समझाया। अलग अलग देश की जगह अलग अलग राज्य बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी जगह के लोग भारत मे शामिल हो। वे अलग राज्य बनाये अलग देश नही।

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत के 562 टुकड़े होने से बचाया।उन्होंने लोगो मे एकता लाने के अथक प्रयास करे। उन्हें एकता की मूर्ति भी बोला जाता है। सभी स्थान के लोगो ने उनका समर्थन किया लेकिन हैदराबाद का निज़ाम अलग बने रहना चाहता था। हैदराबाद काफी समय अलग रहा। इसके बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 13 सितम्बर 1948 में सैन्य कार्यवाही की। जिसका नाम ऑपरेशन पोलो रखा। अंतः निज़ाम को भारतीय सेना के सामने झुकना पड़ा। आज हैदराबाद भारत के प्रमुख हिस्सो में से एक है। उन्होंने पूरे देश के अलग अलग जगह के लोगो को भारत मे ही रहने का व देश मे एकता लाने का पाठ सीखाया।

उपसंहार- भारत मे एकता लाने में सर्वश्रेष्ठ कार्य सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा हुए। 15 दिसंबर को उनकी मृत्य हार्ट अटैक से हुई। हर वर्ष उनका जन्मदिन 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2018 में विश्व की सबसे बड़ी 182 मीटर की सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनी। ये विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है। जिसे स्टेचु ऑफ यूनिटी बोला जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा मूर्ति का उद्घाटन हुआ। हर वक़्त एकता के नाम पर आज भी उनके कार्यों को सराहा जाता है। 

देश मे बेशक आज़ादी स्वतंत्रता सैनानीयों द्वारा मिली। पर एकता सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सुनिश्चित की। आज देश उनका आभारी है।

 हमारे देश मे वह एकता की पहचान थे, है और हमेशा रहेंगे।

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