बैसाखी त्यौहार और मान्यताये I Vaisakhi Festival

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बैसाखी त्यौहार पंजाब और हरियाणा के किसानो को प्रमुख त्यौहार है I भारत देश किसानो का देश रहा है I भारत की आबादी का 80% समुदाय कृषि पर ही निर्भित है यही कारण है की यह के हर त्यौहार और पूजन में कृषि और कृषि सामग्री का बहुत बड़ा प्रयोग और स्थान है I

Vaisakhi festival Date and Time 2020 13 April, Monday

बैसाखी नाम से ही प्रतीत होता है वैसाख माह को प्रदर्शित करता है I वैसाख का महीना आधुनिक कलेण्डर के अनुसार अप्रैल का महीना होता है जब फसल की कटाई का समय होता है इसी समय फसल कटाई की ख़ुशी में बैसाखी मेले का आयोजन किया जाता है और ख़ुशी मनाई जाती है I वैशाखी त्यौहार मुख्यत हर साल अप्रैल के महीने में 13 या 14 तारीख को मनाया जाता है I भारत में अन्य प्रदेशो में भी वैसाखी जैसा ही पर्व अन्य नामो से मनाया जाता है जाइए पोहेला बैसाख,  बोहाग बिहू असम में , विशु त्यौहार साउथ में मनाया जाता है I

बैसाखी और सिख धर्म की मान्यताये

बैसाखी का सिख धर्म में अपना खास महत्व है I प्राचीन मान्यताओं में बैसाख के महीने में 13 अप्रैल 1699 को दसवे गुरु गोविन्द जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी I सिख समुदाय बैसाखी के दिन को खालसा पंथ के जन्मदिवस के रूप में मानते है I खालसा पंथ की स्थापना और खालसा सम्वत के अनुसार 1 वैसाख 1756 विक्रमी (30 मार्च 1699 ) से सुख नव वर्ष शुरू होता है इस प्रकार वैसाखी सिख नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है I

बैसाखी सिख धर्म और इतिहास

बैसाखी त्यौहार की मान्यता सिख धर्म में इसलिए भी है क्योकि सिख गुरु अमर दस जी द्वारा हिन्दू त्योहारों में से तीन त्योहार जो सिख समुदायों द्वारा मनाया जाता है उनमे से बैसाखी भी एक त्यौहार है अन्य दो त्यौहार जिन्हे गुरु जी ने मान्यता दी वो महा शिवरात्रि और दीपावली है I मुग़ल शासक औरंगजेब के शासन काल में गुरु तेग बहादुर जी को दिल्ली चांदनी चौक पर शहीद कर दिया गया था क्युकी उन्होंने इस्लाम नहीं अपनाया था उनकी वीर गति प्राप्त होने के बाद सिखो के 10वे गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की इस पंथ का केवल एक उद्देश्य था धर्म और भलाई को सर्वोपरि रखकर कमजोर और असहाये लोगो की मदद करते रहना I

बैसाखी त्यौहार कैसे मानते है ?

बैसाखी खुशियों का त्यौहार है इस दिन पंजाब और हरियाणा का अधिकांश भाग खुशियों में सराबोर रहता है I जगह जगह पुरुष लोग पारम्परिक नृत्य भंगड़ा करते है और स्त्रियाँ गिद्दा नृत्य करती है I शाम के समय लोग आग जलाकर एक साथ बैठ कर नयी फसल आने की खुशिया मानते है नृत्य करते है I इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है सुबह 4 बजे गुरु ग्रन्थ साहिब को सम्मानपूर्वक कक्ष से बाहर लाया जाता है दूध और जल से स्नान करवा कर उन्हें तख़्त पे बैठाया जाता है इसके बाद पांच प्यारे पंचबानी गाते है I अरदास के बाद कड़ा प्रसाद का भोग लगाया जाता है फिर लोग गुरु के लंगर में शामिल होते है I पुरे दिन गुरुबाणी और कीर्तन गुरुद्वारों में गाये जाते है I इस दिन श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास के लिए जाते है I आनदपुर साहिब में बैसाखी का दृश्य देखने लायक मनोहारी होता है यही पे खालसा पंथ की नीव राखी गयी थी I

अन्य देश में बैसाखी समारोह

पकिस्तान जो की 1947 से पहले भारत का ही हिस्सा था यह बहुत सी ऐसे स्थान है जो सिख धर्म से सम्बंधित है और उनका ऐतिहासिक महत्व भी है जैसे की गुरु नानक जी का जन्म स्थान वैसाखी पे यह विदेशो से और भारत से बहुत से लोग दर्शन के लिए आते है I

अमेरिका में इस दिन एक परेड का आयोजन होता है I न्यूयॉर्क शहर में जगह जगह भंडारे और लंगर का आयोजन सिख समुदायों द्वारा किया जाता है I इसी प्रकार कैलिफ़ोर्निया, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, बर्मिंघम आदि जगहों में गुरुद्वारों में पुरे दिन कीर्तन किया जाता है और लोग अरदास करने एकत्रित होते है I मलेशिया में भारतीय समुदाय के सरकारी कर्मचारियों को मलेशिया सरकार की तरफ से बैसाखी का एक दिन का अवकाश मिलता है I