दशहरा पर निबंध। Dussehra essay in hindi

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दशहरा हिन्दुओ का प्रसिद्ध त्यौहार है। आज इस लेख में हम dussehra essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर about dussehra in hindi पुछा जाता है। भारत में या विदेशो में भी दशहरा बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। आप सभी दशहरा त्यौहार की एक संक्षिप्त झलक इस पोस्ट में देख पाएंगे।

about dussehra in hindi

दशहरा दिलाता है विजय की आस आज भी, दशहरा करता है बुराई का सर्वनाश आज भी,

मन में  हो अगर प्रेम और विश्वास आज भी, तो हो जाता है सब दुखों के नाश आज भी।

दशहरा जिसे लोग विजयादशमी, आयुध-पूजा और बिजोया के नाम से जानते है। भगवती के विजया नाम पर भी इसे विजयादशमी कहा जाता है। त्योहारों में प्रमुख जीत का यह अनोखा पर्व है।आज के दिन की महिमा का गुणगान वर्षों से भारतीय संस्कृति में रहा है। असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है ये पर्व। प्रेम, उल्लास, संवेदनाओ और विजय की रौनक का मिश्रण है ये त्योहार।

प्रस्तावना- हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरे का आयोजन होता है। इस तिथि का महत्व भारतीय संस्कृति में असीम है। इस दिन के अलग अलग महत्व और कारण बताए जाते है। इस दिन भगवान श्री राम जी ने रावण का वद्ध किया था। देवी दुर्गा ने नौ-रात्रि और दस दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर पर विजय प्राप्त की।

इस दिन क्षत्रिय शास्त्र की पूजन करते है। आज ही के दिन कई राजाओ ने युद्ध के लिये प्रस्थान किया और विजय हासिल की। बुराई पर अच्छाई की जीत का उदाहरण है ये दिन।

महत्व-  आज के दिन का महत्व सर्वव्यापी है। दशहरा को लोग शुभ तिथि मानते है। श्री राम ने आज बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रमाण दिया। लोग आज के दिन को विजय का दिन मानते है। आज के दिन का निजी जीवन मे भी बहुत महत्व है। हर छोटे बड़े काम की शुरुवात लोग आज से ही करने की कामना करते हैं। अनगिनत मनुष्य उद्योग को आज से प्रारंभ करते है। जिससे उन्हें उनके कार्य मे धन, संपत्ति और यश की प्राप्ति हो। लोगो का यह मानना है कि आज के दिन वह जो भी कार्य आरंभ करेंगे उसमे वह ज़रूर सफल होंगे। हर नए कार्य की नींव आज ही के दिन रखी जाति है। नए वाहन हो या नए कपड़े, नए आभूषण हो या नए तोहफ़े। इन सभी की शोभा आज के दिन समूचे देश मे रहती है। शिवाजी ने औरंगज़ेब के विरुद्ध इसी दिन प्रस्थान करके हिन्दू धर्म का संरक्षण किया था। इतिहास से ही लोग इस दिन के महत्व पर विश्वास करते आये है। यह दिन हिन्दू धर्म की देवी दुर्गा को भी समर्पित है। दुर्गा जी ने  महिषासुर का सर्वनाश इसी दिन किया था। दशहरे के पहले की नव तिथियां माताजी को समर्पित होती है। दशमी पर विशाल रूप से माता जी को पूजा जाता है। यह त्योहार धार्मिक निष्ठा पर निर्भर है। हर्ष-उल्लास और विजय का प्रतीक है।

लोगो के हृदय में ये दिन वीरता का भाव पैदा करता है।  ये दिन  दिखाता है कि आज भी देर नही हुई है, हमे अपने अहँकार को छोड़ देना चाहिए वरना हमारी बुराइया ही हमारे सर्वनाश की वजह बन सकती है। लोगों को प्रेरणा मिलती है और सारी बुराइयों को छोड़ वे अच्छाई की और बढ़ते है।

मनाने के तरीके-  अलग अलग प्रदेश के वासी अलग अलग तरीकों से दशहरा को मानते है। समूचे भारत मे शाम होते ही आतिशबाजियों की गूंज सुनाई देती है। धरती आसमान पटाखों से भरा नज़र आता है। इस दिन रामलीला को देखने सेंकडो लोग एकत्रित होते है। कोई हनुमान जी  की पोशाक में नज़र आता है, तो कोई राम की। कोई रावण की पोशाक में नज़र आता है, तो कोई माता सीता की। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हम कोई नाटक नही देख रहे। सब अपने किरदार को बखूबी निभाते है। दिन भर सारे नगर में जुलूस निकाला जाता है। विशाल झाँकहिया बनाई जाती है जिसे देखने लोग अपने अपने घरों से उत्साह के साथ  बाहर आते है। आज के दिन हर जगह रावण के विशाल  पुतले जलाये जाते है। इसका अर्थ है कि लोग बुराई को समाज से खत्म कर देना चाहते है। 

महाराष्ट्र में यह पर्व सिलंगण के नाम से मनाया जाता है। सभी स्त्री पुरुष शाम को तैयार होकर ढोल बाजे के साथ गांव की सीमा पर जाते है। वहां वे शमी वृक्ष के पत्तों को तोड़कर लाते है और गांव में एक दूसरे को बांटते  है। यहां भी जुलूस निकाले जाते है। रावण के पुतले जलाये जाते है।

हिमाचल प्रदेश में दशहरे को कुल्लू का दशहरा बोला जाता है। यहां सज धज के लोग जुलूस निकालने के साथ देवता की मूर्ति सजाकर पूजा करते है। रघुनाथ को पालकी में सजाया जाता है। ग्रामीण देवता को सजाकर पूजा करते है।

बस्तर में दशहरे के दिन माँ दंतेश्वरी को पूजा जाता है। देवी काँटो की सेज पर विराजमान होती है। एक अनुसूचित जाति की कन्या से बस्तर के राजपरिवार अनुमति लेते है।

तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में यह त्योहार 9 दिन तक मनाया जाता है। यहां पूजा स्थल को फूलों और दीपकों से सजाया जाता है। यह त्योहार धन की देवी लक्ष्मी, विद्या देवी सरस्वती और देवी दुर्गा को समर्पित होता है।

कर्नाटक में मैसूर का दशहरा सबसे प्रसिद्ध है। इस दिन के लिए 10 दिन पहले से लोग तैयारियाँ शुरू कर देते हैं। लोग नए नए वस्त्र व आभूषण खरीदते है। 10 दिन पहले से ही तैयारी की चहल पहल सुनाई देती है। इस दिन हाथी श्रृंगार होता है। भव्य जुलूस नगर के हर कोनो से निकाला जाता है। मैसूर के महल को रोशनी से सजाया जाता है। इसके बाद दशहरा मैदान में रावण दहन होता है। जुलूस में आमजन शामिल होते है और ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य व मनोरंजन करते है।

बंगाल की दुर्गा पूजा- दशहरा का दिन बंगाल ओडिशा में देवी दुर्गा की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। यहां दशहरा देवी दुर्गा को समर्पित है। बंगाल में ये त्योहार 5 दिन तक बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। यहां मां दुर्गा के विशाल पंडाल को सजाया जाता है। जिसमे दुर्गा जी की सुंदर प्रतिमा को बैठाया जाता है। पूरे विश्व के नामी कलाकर बंगाल में देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने आते है। दुर्गा जी के पंडाल को फूलों, दीपकों और अन्य वस्तुओं से सजाया जाता है। इत्र की खुशबू से महकता दुर्गा जी के पंडाल इतना मनमोहक होता है कि कोई एक क्षण के लिए भी नज़र नही हटा पाता। षष्ठी के दिन दुर्गा जी की प्राण प्रतिष्ठा होती है। अष्टमी के दिन महापूजा व बलि देते है। नवमी तक दुर्गा जी की पूजा होती है। दशमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन होता है। छप्पन भोग चढ़ाये जाते है और लोगो को बांटें जाते है। दुर्गा पूजा की एक झलक पाने लोग दूर दूर से आते है। पूरे भारत से लोग माता के चरणों का प्रेम पाने की कामना से बंगाल के  विशाल पंडाल तक पहुंचते है। पुरुष आपस मे आलिंगन और अभिवादन करते है। स्त्रियां देवी के माथे पर सिंदूर चढ़ाती है। सिंदूर से खेलने का बड़ा आयोजन होता है। स्त्रियां बंगाली वस्त्र धारण करती है। नीलकंठ के दर्शन को यहां शुभ माना जाता है। अंत मे दशमी के दिन माता का भाव विभोर होकर विसर्जन  किया जाता है। अगले वर्ष माता जल्दी आये इस कामना से लोग अश्रुपूर्ण विदाई देते है। अपनी कामनाओं को  पूरा करने की माता से प्रार्थना करते है।

विदेश में दशहरा- भारतवासी जो विदेश में रहते है, वे विदेश में भी धूम धाम से दशहरा को मानते है। अपने देश की संस्कृति को विदेश के लोग भी सीखते है। दशहरा के दिन भारतवासी जिस भी देश मे होते है वह उस देश मे दशहरा की कीर्ति को बढ़ाते है। लोग सज धज कर घरों में आतिशबाज़ी करते है। रावण के पुतले का दहन करते है। भारतवासी के साथ विदेश के लोग भी इस गतिविधि का हिस्सा बनते है। विदेशों में भी कई जगह भारतीय संस्कृति का विस्तार व प्रचार प्रसार होता है। विदेशवासी भी बुराई पर अच्छाई की जीत , असत्य पर सत्य की विजय की सराहना करते है। हमारे संस्कार इस पर्व से विख्यात होते है। ये भारत के साथ विश्व की  रौनक बढ़ते है।

उपसंहार- दशहरा हमेशा लोगो को ये ज्ञात करता है की हमेशा अच्छाई की जीत निश्चित होती है। आगे भी देश मे अच्छाई की जीत होती रहेगी। हर वर्ष हम इस त्योहार को विजय के प्रतीक के रूप में मनाते है। जिससे लोग अच्छाई को भूल कभी बुराई का रास्ता न अपनाये। श्री राम के द्वारा रावण का वध हमे हर वर्ष ज्ञात कराता है कि हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है। शत्रु चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो उसे अच्छाई के आगे झुकना आना चाहिए।

शीश चाहे दस हो पर ज्ञान शीश झुकाने का होना चाहिए।

अहँकार से प्राणी का संहार होता है, ये बात हमे जान जाना चाहिए।

और मन की बुराइयों को ढूंढ हमे उसका विनाश करना चाहिए

हमारे शत्रु हम खुद होते है, ये बात हमे अब पहचान जाना चाहिए।

विजयादशमी की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं।

हमें आशा है आपको दशहरे पर निबंध पसंद आया होगा। आप चाहे तो इसे paragraph on dussehra के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। dussehra essay को आप संक्षिप्त रूप से dussehra speech के रूप में भी संशोधनक करके इसी लेख को प्रयोग में ला सकते है। अगर आप चाहते है की हम दशहरा स्पीच पे भी लेख लेकर आये तो जरूर कमेंट कर के हमें बताये।